भारत का इतिहास

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सिंधू सभ्यता का स्थान

  • सिंधू सभ्यता कांस्ययूगीन सभ्यता है। उस काल की यह सबसे बड़ी सांस्कृतिक क्षेत्र वाली सभ्यता थी. इसका क्षेत्रफल लगभग 13 लाख वर्ग किलोमीटर है जो मिस्र एवं मेसोपोटामिया सभ्यताओं से बड़ा हैं.
  • यह हड़प्पा सभ्यता और 'सिंधु-सरस्वती सभ्यता' के नाम से भी जानी जाती है। इसका विकास सिंधू और घघ्घर/हकड़ा (प्राचीन सरस्वती) के किनारे हुआ.  1826 चार्ल्स मैसेन ने पहली बार इस पुरानी सभ्यता को खोजा। कनिंघम ने 1856 में इस सभ्यता के बारे में सर्वेक्षण किया। 1856 में कराची से लाहौर के मध्य रेलवे लाइन के निर्माण के दौरान बर्टन बंधुओं द्वारा हड़प्पा स्थल की सूचना सरकार को दी। इसी क्रम में 1861 में अलेक्जेंडर कनिंघम के निर्देशन में भारतीय पुरातत्व विभाग की स्थापना की।

 मुख्य शहर तथा उनकी विशेषतांए-

  • मोहनजोदड़ो (सिंध) सिंधू नदी के दाहिने किनारे पर बसा है।
  • हड़प्पा (पंजाब, पाकिस्तान) रावी नदी के बाएं किनारे पर स्थित है।
  • चान्हूदडो (सिंध) सिंधु नदी के बाएं किनारे पर है तथा यह मोहनजोदड़ो से लगभग 130 कि.मी. दक्षिण किनारे पर है।
  • कालीबंगन (राजस्थान) घग्गर नदी के किनारे था। यह नदी कई वर्षो पहले सूख गई है।
  • लोथल (गुजरात) खम्भात की खाड़ी के सिरे पर है।
  • बनवाली (हरियाणा) विलुप्त सरस्वती नदी के किनारे।
  • सुरकोतदा(गुजरात) कच्छ के किनारे ।
  • नवीनतम उत्खनित शहर, धौलावीरा (गुजरात) कच्छ जिले में।

सिंधु घाटी सभ्यता के प्रमुख स्थलों की संक्षिप्त जानकारी

यहा के नगर ग्रिड प्रणाली के अनुसार योजनाबद्ध किए गए थे. इस योजना के अनुसार गलियां तथा सड़के एक दूसरे को लगभग समकोण काटती है और नगर अनेक आयताकार खंडों में विभक्त हो जाता था। सिंधु सभ्यता में पक्के ईंटों के घर देखने को मिलते है जबकि पत्थर के मकानों का अभाव है ।
मोहनजोदड़ो यह सिंधू सभ्यता के शहरों में सबसे बड़ा नगर है. मोहनजोदड़ो का सन्नाघर इस सभ्यता एक उदाहरण है, जोकी 39 फीट (लंबाई) x 23 फीट (चौड़ाई) x 8 फीट (गहराई) का है। यहा से प्राप्त विशाल धान्य कोठार यहां की सबसे बड़ी इमारत हैं, जोकी 150 फीट लंबाई और 50 फीट चौड़ाई । 
हड़प्पा यह 1921 में खोजा गया प्रथम सिंधु स्थल है। इस सभ्यता के नाम पर सिंधु सभ्यता को हड़प्पा सभ्यता कहा गया. चान्हूदड़ो एक मात्र सिंधु शहर है जिसमें नगर दुर्ग नहीं है। कालीबंगन यह दो सिंधु शहरों में से एक है जहां से आद्य-हड़प्पा तथा संस्कृतीय संस्तर प्राप्त है। लोथल ईटों के कृत्रिम गोदी बाड़े वाला यह एकमात्र सिंधु शहर है। यह सिंधुवासियों का मुख्य बंदरगाह रहा होगा। बनवाली यहां से आद्य - हड़प्पा तथा हड़प्पा संस्कृति के चरण प्राप्त हुए हैं. सुरकोतदा यह एकमात्र सिंधु स्थल है जहां से वास्तव में घोड़े के अवशेष प्राप्त हुए हैं. 
धोलावीरा सिंधु शहरों की खोज नवीनतम, यह है कि यह अन्य शहरों की तरह दो नहीं, अपितु तीन भागों में बंटा हुआ है। इसके दो भागों की मजबूत घेराबंदी की गई थी।

सिंधु सभ्यता के प्रमुख स्थल एवं खोजकर्ता

प्रमुख स्थलखोजकर्तावर्ष
1- हडप्पामाधो स्वरूप वत्स, दयाराम साहनी1921
2-मोहनजोदडोराखाल दास बनर्जी1922
3- रोपडयज्ञदत्त शर्मा1953
4- कालीबंगाब्रजवासी लाल, अमलानन्द घोष1953
5- लोथलए. रंगनाथ राव1954
6- चन्हुदडोएन.गोपाल मजूमदार1931
7- सुरकोटदाजगपति जोशी1964
8- बणावलीरवीन्द्र सिंह विष्ट1973
9- आलमगीरपुरयज्ञदत्त शर्मा1958
10- रंगपुरमाधोस्वरूप वत्स, रंगनाथ राव1931.-1953
10- कोटदीजीफज़ल अहमद1953
11- सुत्कोगेनडोरऑरेल स्टाइन, जार्ज एफ. डेल्स1927

हड़प्पाकालीन नदियों के किनारे बसे नगर

नगरनदी/सागर तट
1- मोहनजोदडोसिंधु नदी
2- हड़प्पारावी नदी
3- रोपडसतलुज नदी
4-कालीबंगाघग्घर नदी
5- लोथलभोगवा नदी
6- सुत्कागेनडोरदाश्त नदी
7- वालाकोटअरब सागर
8- सोत्काकोहअरब सागर
9- आलमगीरपुरहिन्डन नदी
10-रंगपुरमदर नदी
10- कोटदीजीसिंदु नदी

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