&
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DRISTI IAS
UPSC IAS प्री परीक्षा 2020 की तैयारी के टिप्स: जानिए, कथानक मुशकिल है
यूपीएससी आईएएस प्री परीक्षा 2020: यूपीएससी सविवि सेवा प्रारंभिक परीक्षा के लीये आवेदन की प्रक्रया शुरू होने जा रही है। मई में इसकी परीक्षा होगी। जानिए यह परीक्षा पास करना कतिथ आसान है या क्तना मुरीकिल
UPSC IAS प्री परीक्षा 2020 की तैयारी के टिप्स: सिविल सेवा की प्रारम्भिक परीक्षा सरल है या कठिन है, इस बारे में दो परस्पर विरोधी विचार हैं। ज्यादातर लोग इसे सरल मानते हैं। जबकि कुछ को यह कठिन मालूम होता है। सरल मानने वालों को लगता है कि प्रश्नों के अंतत तो दिये ही रहते हैं और यदि हमने उस विषय को पढ़ा है, तो विकल्पों को देखने के बाद अनिश्चितकाल में ही ही जाएंगे। इसमें अपनी ओर से कुछ लिखें भी नहीं होता है। इसलिए यह सरल है। सरल इसलिए भी है कि अगर किसी तरह 55 प्रतिशत स्क आ जाए, तो सिलेशन पक्का है और इतना लाना मुश्यक नहीं होता है। सरल मानने वाले में ये अधिकांश वे लोग होते हैं, जो अभी तक प्री में बैठे नहीं हैं।
लेकिन जो बैठ जाते हैं, वे अब इसे बहुत सरल नहीं मानते हैं। सरल होने के लिए पहले वे जो-जो कारण देते थे, अब वे वही-वही कारण इसके कठिन होने के लिए देने लगते हैं। अब उन्हें लगता है कि विकल्प एक-दूसरे से इतने मिलते-जुलते होते हैं कि सही अंतत को पकड़ पाना मुरिसक़िल हो जाता है। जिस तरह के विकल्प दिए जाते हैं, वे बड़े से बड़े भूल-भुलैया को भी मात दे देते हैं। दिमाग चकरा जाता है, उन विकल्पों को पढ़कर।
परीक्षा में प्रयुक्तवालिफाई करने के लीये ये बातें हैं।
एक बड़ी मुर्सकिल है- निगेटिव मार्किंग की। यानी कि अंजाज लगाकर मार्कर लगाने का अर्थ होगा-एक मोल लेना। जब पढ़ते हैं, तो लगता है कि इसके बारे में हमने पढ़ा है। लेकिन जब विकल्पों को देखते हैं, तो गड़बड़ा जाते हैं कि क्या सिखाया गया था। लगता है कि कुछ-कुछ सिखाया गया था, लेकिन यह नहीं लगता है कि बिल्कुल यही पढ़ा गया था। ऐसे में इतरत देना आसान नहीं होता है। इसलिए 55 प्रतिशत का स्कोर अपने-आप में लोहे के चने चबाने जैसा बन जाता है।
तो फिर इन दोनों में सच क्या है? मित्रों, वस्तुतः सरलता और क्रूरता का रहस्य सापेक्षता में छिपा होता है। जब हमारी तैयारी होती है और हम उसके बारे में जानते हैं, तो वह विषय या परीक्षा हमारे लिए सरल हो जाती है- फिर चाहे वह कितना भी कठिन क्यों न हो। लेकिन जब वह हमसे नहीं बनता है, तो सरल होने के बावजूद वह हमारे लिए कठिन हो जाता है।
दूसरी बात है- तैयारी करने की विधि की। यदि आप प्रारम्भिक परीक्षा की तैयारी वस्तुनिष्ठ पद्धति से करते हैं, तो निश्चिंत है कि यह परीक्षा आपके लिए बहुत कठिन होगी। परीक्षार्थी इस सत्य को भूल ही जाते हैं कि कम से कम सिविल सेवा की प्रारम्भिक परीक्षा की तैयारी इस तरीके से हो ही नहीं सकती। वे गलती से राज्य सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी की पद्धति को ही इस पर लागू कर देते हैं।
प्रारम्भिक परीक्षा की तैयारी के लिए मूलभूत जानकारी रखनी होती है और यह बुनियादी जानकारी आपको मुख्य परीक्षा की तैयारी करने की पद्धति से ही मिल सकती है। आप इस तथ्य को समझें और अपनी तैयारी को इसी के अनुकूल आकार दें।
मुख्य परीक्षा के लिहाज से तैयारी करेंगे केवल प्री एग्जाम मेंवलिफाई कर रहे हैं।
निरिचित रूप से यदि विकल्प सरल हो, तो साझा करें कोई बहुत कठिन नहीं हैं। सारा संकट विकल्पों की गतिविधियों का संकट होता है। विकल्पों की सुविधाओं से पार पाने का आपके पास सिर्फ एक ही उपाय है और वह है- आपके विचारों की स्पष्टता। यदि आप पूछे गए प्रश्न को लेकर बहुत स्पष्ट नहीं हैं, दिमागी रूप से मजबूत नहीं हैं, तो गलत संकेत की सम्भावना बढ़ जाएगी। विचारों की यह स्पष्टता तब हो सकती है, जब आप विषय पर बहुत अच्छी पकड़ रखते हैं। यह केवल तथ्यों की जानकारी ही नहीं है, बल्कि उन तथ्यों की गहरी समझ से भी जुड़ी हुई है।
यहाँ तक कि वह आपसे ॅ अपडेटेड नैलेज है की मांग करता है। यदि आप अनसाॅल्व्ड पेपर उठाकर देखें, तो पाएंंगे कि ऐसे बहुत से लिंक हैं, जो दिखते हैं तो किसी विषय से संबंधित हैं, लेकिन उनका कुछ न कुछ जुड़ाव करेंट अफेयर्स से हो रहा है। यह बात आपको अर्थशास्त्र, राजनीतिशास्त्र और भूगोल जैसे विषयों के साथ सबसे अधिक मिलेगी। इसी तरह सेट अफेयर्स तो सामान्य ज्ञान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होता है।
UPSC IAS प्री परीक्षा 2020 की तैयारी के टिप्स: जानिए, कथानक मुशकिल है
यूपीएससी आईएएस प्री परीक्षा 2020: यूपीएससी सविवि सेवा प्रारंभिक परीक्षा के लीये आवेदन की प्रक्रया शुरू होने जा रही है। मई में इसकी परीक्षा होगी। जानिए यह परीक्षा पास करना कतिथ आसान है या क्तना मुरीकिल
UPSC IAS प्री परीक्षा 2020 की तैयारी के टिप्स: सिविल सेवा की प्रारम्भिक परीक्षा सरल है या कठिन है, इस बारे में दो परस्पर विरोधी विचार हैं। ज्यादातर लोग इसे सरल मानते हैं। जबकि कुछ को यह कठिन मालूम होता है। सरल मानने वालों को लगता है कि प्रश्नों के अंतत तो दिये ही रहते हैं और यदि हमने उस विषय को पढ़ा है, तो विकल्पों को देखने के बाद अनिश्चितकाल में ही ही जाएंगे। इसमें अपनी ओर से कुछ लिखें भी नहीं होता है। इसलिए यह सरल है। सरल इसलिए भी है कि अगर किसी तरह 55 प्रतिशत स्क आ जाए, तो सिलेशन पक्का है और इतना लाना मुश्यक नहीं होता है। सरल मानने वाले में ये अधिकांश वे लोग होते हैं, जो अभी तक प्री में बैठे नहीं हैं।
लेकिन जो बैठ जाते हैं, वे अब इसे बहुत सरल नहीं मानते हैं। सरल होने के लिए पहले वे जो-जो कारण देते थे, अब वे वही-वही कारण इसके कठिन होने के लिए देने लगते हैं। अब उन्हें लगता है कि विकल्प एक-दूसरे से इतने मिलते-जुलते होते हैं कि सही अंतत को पकड़ पाना मुरिसक़िल हो जाता है। जिस तरह के विकल्प दिए जाते हैं, वे बड़े से बड़े भूल-भुलैया को भी मात दे देते हैं। दिमाग चकरा जाता है, उन विकल्पों को पढ़कर।
परीक्षा में प्रयुक्तवालिफाई करने के लीये ये बातें हैं।
एक बड़ी मुर्सकिल है- निगेटिव मार्किंग की। यानी कि अंजाज लगाकर मार्कर लगाने का अर्थ होगा-एक मोल लेना। जब पढ़ते हैं, तो लगता है कि इसके बारे में हमने पढ़ा है। लेकिन जब विकल्पों को देखते हैं, तो गड़बड़ा जाते हैं कि क्या सिखाया गया था। लगता है कि कुछ-कुछ सिखाया गया था, लेकिन यह नहीं लगता है कि बिल्कुल यही पढ़ा गया था। ऐसे में इतरत देना आसान नहीं होता है। इसलिए 55 प्रतिशत का स्कोर अपने-आप में लोहे के चने चबाने जैसा बन जाता है।
तो फिर इन दोनों में सच क्या है? मित्रों, वस्तुतः सरलता और क्रूरता का रहस्य सापेक्षता में छिपा होता है। जब हमारी तैयारी होती है और हम उसके बारे में जानते हैं, तो वह विषय या परीक्षा हमारे लिए सरल हो जाती है- फिर चाहे वह कितना भी कठिन क्यों न हो। लेकिन जब वह हमसे नहीं बनता है, तो सरल होने के बावजूद वह हमारे लिए कठिन हो जाता है।
दूसरी बात है- तैयारी करने की विधि की। यदि आप प्रारम्भिक परीक्षा की तैयारी वस्तुनिष्ठ पद्धति से करते हैं, तो निश्चिंत है कि यह परीक्षा आपके लिए बहुत कठिन होगी। परीक्षार्थी इस सत्य को भूल ही जाते हैं कि कम से कम सिविल सेवा की प्रारम्भिक परीक्षा की तैयारी इस तरीके से हो ही नहीं सकती। वे गलती से राज्य सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी की पद्धति को ही इस पर लागू कर देते हैं।
प्रारम्भिक परीक्षा की तैयारी के लिए मूलभूत जानकारी रखनी होती है और यह बुनियादी जानकारी आपको मुख्य परीक्षा की तैयारी करने की पद्धति से ही मिल सकती है। आप इस तथ्य को समझें और अपनी तैयारी को इसी के अनुकूल आकार दें।
मुख्य परीक्षा के लिहाज से तैयारी करेंगे केवल प्री एग्जाम मेंवलिफाई कर रहे हैं।
निरिचित रूप से यदि विकल्प सरल हो, तो साझा करें कोई बहुत कठिन नहीं हैं। सारा संकट विकल्पों की गतिविधियों का संकट होता है। विकल्पों की सुविधाओं से पार पाने का आपके पास सिर्फ एक ही उपाय है और वह है- आपके विचारों की स्पष्टता। यदि आप पूछे गए प्रश्न को लेकर बहुत स्पष्ट नहीं हैं, दिमागी रूप से मजबूत नहीं हैं, तो गलत संकेत की सम्भावना बढ़ जाएगी। विचारों की यह स्पष्टता तब हो सकती है, जब आप विषय पर बहुत अच्छी पकड़ रखते हैं। यह केवल तथ्यों की जानकारी ही नहीं है, बल्कि उन तथ्यों की गहरी समझ से भी जुड़ी हुई है।
यहाँ तक कि वह आपसे ॅ अपडेटेड नैलेज है की मांग करता है। यदि आप अनसाॅल्व्ड पेपर उठाकर देखें, तो पाएंंगे कि ऐसे बहुत से लिंक हैं, जो दिखते हैं तो किसी विषय से संबंधित हैं, लेकिन उनका कुछ न कुछ जुड़ाव करेंट अफेयर्स से हो रहा है। यह बात आपको अर्थशास्त्र, राजनीतिशास्त्र और भूगोल जैसे विषयों के साथ सबसे अधिक मिलेगी। इसी तरह सेट अफेयर्स तो सामान्य ज्ञान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होता है।
“Anyone who has never made a mistake has never tried anything new This is Einstein's statement”
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"जय हिन्द !!"
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